- Home
- योगीज्⛳️सेना के संकल्प अनुरूप सच्चे स्व-ज्ञान ,स्वास्थ्य, आर्थिक उन्नति की अभूतपूर्व व निश्चित परिणामदायी योगसाधना विधियों व प्राकृतिक चिकित्सा, एक्यूप्रेशर के द्वारा असंख्य लोगों की सेवा के साथ, आयुष उत्थान , संविधान प्रचार व स्थानीय मुद्दों पर प्रशासनिक ध्यानाकर्षण व अन्य सेवा कार्यो के द्वारा लोगों के जीवन को सुखमय बनाने का प्रयास लगातार किया जा रहा है। इस सेवाकाल में हमने अनुभव किया और आप भी गौर कर सकते हैं,कि स्वज्ञान व सेवा में ही सुख है पर अधिकतर लोग, जीवन व दूसरे लोगों के बारे में लगभग पूर्ण जानकारियां होने का दावा करते हुए आसानी से मिल जाते हैं पर उन्हें अपने दुःख व सुख के श्रोत के विषय में ,अपनी दिव्य क्षमताओं, व उत्पत्ति के बारे में भी सही जानकारी नहीं होती है।जबकि! स्वयं के लिए तो हमारी उपलब्धता भी हर समय है व स्वयं के विषय में जानना किसी अन्य विषय या व्यक्ति के बारे में जानने से हमेशा ही आसान होता है। तो होना तो यह चाहिए था कि हमें स्वयं के बारे में अधिकतर जानकारी होती। परन्तु ! 6000 वर्ष पुरानी आत्मज्ञान व मोक्ष पर केंद्रित आध्यात्मिक संस्कृति के वारिस होने के बावजूद हमारी स्वयं के बारे में यह अज्ञानता बेहद आश्चर्यजनक है! जबकि होना तो यह चाहिए था कि हमारे घर-घर मे ध्यान व स्व-ज्ञान की उच्चतम अवस्था को प्राप्त योगी यूं ही मिलते।परंतु 6000 वर्षों से हमें आध्यात्म सिखाने वाली महान संस्कृति के, “मानव को महामानव बनाने वाले स्व-ज्ञान के श्रेष्ठ साधन” ढोंगियों के षड्यंत्र जनित आध्यात्मिक प्रदूषण में लुप्त हो गए। और स्वार्थ (स्व+अर्थ=स्व+ज्ञान) शब्द का सच्चा अर्थ लुप्त होकर मनुष्यता-विनाशक “लालच” के रूप में प्रचलित हो गया। और हम अस्तित्व में कहां से आये हैं ?कितने समय तक हम रहेंगे ? हमारे भीतर क्या शक्तियां हैं?और हम अंततः कहां चले जाते हैं? फिर वापस आते हैं कि नहीं आते हैं?क्या हमारा इस शरीर के बाद भी कोई अस्तित्व होता है?यदि होता है तो हमारा स्वरुप क्या होता है?जीवन का पूर्ण रस कैसे प्राप्त हो?आदि जीवन को सार्थक करने वाले स्व-ज्ञान के प्रश्न लालच व अहंकारपुष्टि जनित व्यस्तता में नजर-अंदाज होते चले गए व कर्मफल सिद्धांत की अज्ञानता व उदासीनता ने तो मानव को,स्वजीवन को ही पूर्ण जी-जान से निरर्थक बनाने व पापफल दुःख कमाने में लगा दिया।फलतः ज्ञान के इस दौर में भी अधिकांश लोग मन और आत्मा की बात तो दूर, स्वयं के ही शरीर तक के विषय में भी नहीं जानते,विरासत मे यह गिरावट चिंतनीय हैं योगीज्⛳️सेना मानव को महामानव बनाने वाली इन विशेष योग विधियों के प्रचार, संविधान प्रचार,सरकारी योजनाओं के लाभों को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए राष्ट्रीय/प्रांतीय/संभागीय-मंडलीय/जिला/तहसील/ब्लॉक/ग्राम स्तरीय कार्यकारिणीयों के द्वारा जरूरतमंदों को शारीरिक व संवैधानिक सहायता के लिये प्रयासरत है व जानकरियों का सोशल मीडिया व विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से प्रचार प्रसार कर अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने के लिए संकल्पित है। क्योंकि कोई बड़ी से बड़ी संस्था कभी भी सरकारी तंत्र के समान सेवायें देने में क्षमतावान नहीं हो सकते हैं। इसलिए हम सबको इसी तन्त्र को दुरुस्त बनाना होगा। सभी सात्विक चित्त के लोगों राष्ट्रसेवा प्रेमियों व योगियों को एकबार फिर राष्ट्रोत्थान के लिए एकजुट होने इतिहास दोहराना पड़ेगा।तो,आओ मिलकर राष्ट्रसेवा करें ! गूगल पर JOIN YOGIS SENA सर्च करें।अपने संभाग या मंडल/जिले/ ब्लॉक/ग्राम की कार्यकारिणी गठन के लिए सम्पर्क करें।